Orphan Girl Story
Orphan Girl Story
सुबह होते ही शोभा करूणा के पास पहुंच जाती है। सारे दिन वहीं रुकती है। इसी बीच कई बार करन का फोन आया। वह भी गांव आना चाहता था लेकिन शोभा ने मना कर दिया।
तीन-चार दिन बीत जाने पर शोभा ने करूणा से कहा -‘‘करूणा तुझे हिम्मत से काम लेना होगा। मुझे अब जाना पड़ेगा। ये मेरा फोन नं है कभी भी तुझे मेरी जरूरत हो तो मैं आ जाउंगी।
शोभा वापस आकर अपने काम में लग जाती। इसी तरह दो महीने बीत जाते हैं। एक दिन शोभा किसी काम से अपनी मां को फोन करती है – ‘‘कैसी हो मां? बहुत दिन हो गये आपसे बात करे, घर में सब कैसे हैं?’’
शोभा की मां कहती है – ‘‘बेटी सब ठीक है तू कैसी है? गांव कब आ रही है एक बार आकर अपनी मां से मिल जा।’’ शोभा यह सुनकर थोड़ी देर के लिये चुप हो जाती हैं फिर कहती है- ‘‘मां मेरा भी बहुत मन है गांव में आने का लेकिन समय नहीं मिल पा रहा है, देखती हूं समय निकाल कर आने का प्रोग्राम बनाती हूं।
इधर इन दो महीनों में करूणा की जिन्दगी पूरी तरह से बदल गई थी। सभी रिश्तेदारों ने उससे पीछा छुड़ाने के लिये आना जाना बंद कर दिया था। कुछ दिन बाद करूणा की ताई उसके घर आईं – ‘‘करुणा अकेली बैठी है क्या बात है।’’ करूणा ने ताई जी को देख कर कहा – ‘‘ठीक हूं ताई जी आप बताइये कैसी हैं। अब अकेले ही रहना है। पहले मां थी तो कोई न कोई आता जाता रहता था। लेकिन अब तो कोई भी नहीं आता।’’
यह सुनकर ताई जी थोड़ी सी झेप जाती हैं। अपनी झेंप मिटाने के लिये वो कहती हैं – ‘‘अरे बेटी मेरे पैरों में दर्द रहता है चला फिरा नहीं जाता आज भी बड़ी मुश्किल से आई हूं। तेरे ताउ जी ने तेरे लिये एक लड़का देखा है। उस लड़के के पिता नहीं है। मां है और एक छोटा भाई है। लड़का नौकरी करता है और उन्हें किसी चीज का लालच भी नहीं है।’’
यह सुनकर करुणा का मन किया कि अभी ताई जी को उल्टा सीधा सुनाकर भगा दे अभी मां को गये दो महीने भी नहीं हुए और इन्हें शादी की पड़ी है। करुणा अभी सोच ही रही थी। तभी ताई जी ने बोला – ‘‘करुणा दो दिन बाद लड़के वाले देखने आयेंगे तैयार रहना बेटा और घर को भी अच्छे से साफ कर लेना में तेरी बहन को पहले से भेज दूंगी ये कुछ पैसे रख ले उस दिन अच्छा सा नाश्ता मंगा लेना।’’
‘‘लेकिन ताई जी मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं अभी मां को गये दिन ही कितने हुए हैं।’’ करुणा ने दबे स्वर में ताई जी से कहा तो वो बिफर पड़ी – ‘‘अरे भलाई को तो जमाना ही नहीं है। घर में खाने को दाने नहीं हैं। इतना अच्छा रिश्ता ठुकरा रही है। तूने सोचा है घर का खर्च कैसे चलेगा। मुझे रात भर नींद नहीं आती जवान लड़की घर में अकेली रहती है कोई बात हो गई तो मुंह तो हमारा काला होगा।’’
करुणा की आंखों से टप टप आंसू बह रहे थे लेकिन ताई जी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा वे अपनी बात कहती रहीं। पूरी बात करने के बाद ताई जी ने पांच सौ रुपये पकड़ाते हुए कहा – ‘‘जो मैं कह रही हूं चुपचाप मान ले, तेरी मां तो हमारे सामने जबान नहीं खोलती थी। आखिर हम तेरे अपने हैं कोई गैर नहीं।’’
करुणा ने रोते हुए कहा – ‘‘नहीं ताई जी वो बात नहीं है अभी मां को गये समय ही कितना हुआ है। कुछ दिन बाद लड़के वालों को बुला लेते।’’
ताई जी ने समझाते हुए कहा – ‘‘बेटी तू चिन्ता मत कर तेरे ताया जी सब संभाल लेंगे।’’ कहकर ताई जी जल्दी से चल दीं।
करुणा बैठ कर रोती रही – ‘‘मां तुम क्यों मुझे छोड़ कर चली गईं। काश तुम होती तो ये सब न होता।’’
अगले दिन करुणा एस.टी.डी बूथ पर गई और शोभा को फोन कर सारी बात बता दी। यह सुनकर शोभा ने कहा – ‘‘करुणा तू चिन्ता मत कर मैं एक दिन पहले आ जाउंगी। मैं लड़के को देख कर फैसला करूंगी कि ये सच बोल रहे हैं या तुझे फसाने की कोशिश कर तेरा मकान हड़पने की तैयारी कर रहे हैं।’’
शोभा किसी तरह टाईम निकाल कर पहुंच गई। लड़के की मां और लड़का दोंनो आये थे। लड़का देखने में बिल्कुल साधारण था। शोभा ने लड़के से कुछ सवाल पूछे जिसका उसने ठीक से जबाब दे दिया। करुणा और लड़के ने अकेले में कुछ देर बात की फिर करुणा ने शोभा से अकेले में पूछा – ‘‘शोभा तू बता तुझे क्या लगता है?’’
‘‘करुणा लड़का तो ठीक लग रहा है। तुझे ठीक लगा लड़का’’ शोभा ने पूछा। करुणा ने शरमाते हुए कहा – ‘‘देख अगर तुझे ठीक लग रहा है तभी मैं हां करूंगी’’
शोभा ने उसे समझाते हुए कहा – ‘‘करुणा कभी कभी हालात से समझोता करना पड़ता है। यहां अकेले रहने से तो अच्छा है एक परिवार मिल जायेगा तुझे।’’ शोभा के समझाने से करुणा शादी के लिये मान गई।
शेष आगे …
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